शिव और शक्ति
शिव और शक्ति
शक्ति रुप हर नारी शिव रुप हर नर है
यही सत्य है यही शिव है यही सुंदर है
एकाकी विहार से थक कर
शिव ने शक्ति को जन्म दिया
अपने ही स्व विग्रह से
अपनी शक्ति को विभक्त किया
वो शक्ति शिव के श्री अंगों का नवरुप थी
वो शक्ति शिव के सुभग शिव अनुरूप थी
वो शक्ति शिवा उमा अंबिका कहलाई,
वो शक्ति अर्धांगिनी अन्नपूर्णा कहलाई
वह शक्ति सदा उद्यमशील थी
वह शक्ति सगुणा सुशील थी
वह शक्ति चंद्रमुखी कान्तिवान थी
वह शक्ति उज्जवल नैना साहसवान थी
वह शक्ति जननी थी श्रद्धा थी
वह शक्ति क्षमा थी लज्जा थी
हर बेटी हर बहन
हर पत्नी हर मां शक्ति रुप हैं
हर बेटा हर भाई
हर पति हर पिता शिव रुप हैं
नर भूल गया अपना शिव रूप
तभी तो व्यवहार बन गया कुरूप।
