STORYMIRROR

अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

Children

4  

अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

Children

शिक्षक - एक और रचना

शिक्षक - एक और रचना

1 min
293

शिक्षकजीवन में ज्ञान रस घोल गया कोईउसे शिक्षक कह गया कोईजीने की राह दिखा गया कोईउसे शिक्षक कह गया कोईपुस्तकों से परिचय करा गया कोईउसे शिक्षक कह गया कोई मन में समर्पण का भाव जगा गया कोईउसे शिक्षक कह गया कोईज्ञान के सागर में गोता लगाना सिखा गया कोईउसे शिक्षक कह गया कोई देश प्रेम की भावना मन में जगा जीवन संवार गया कोईउसे शिक्षक कह गया को ईजीवन में अनुशासन का महत्व बता गया।

कोईउसे शिक्षक कह गया कोईअंधविश्वासों के मोहजाल से बाहर कर जीवन सजा गया कोईउसे शिक्षक कह गया कोईशिक्षा के माध्यम से जीवन को अलंकृत करने की कला सिखा गया कोईउसे शिक्षक कह गया कोईपालने में अज्ञान के झूल रहा था अब तकजीवन में ज्ञान के चार चाँद लगा गया कोई उसे शिक्षक कह गया कोईअनुशासन की बेडी पहना मेरा जीवन संवार गया।

कोईउसे शिक्षक कह गया कोई नैतिकता के मूल्यों का गहना उस पर मानवता का चोला पहनापूर्ण मानव बना गया कोईउसे शिक्षक कह गया कोईकिस्मत में न थे जिसकी धरा के मोती उसे आसमान का सितारा बना गया कोई। उसे शिक्षक कह गया कोई उसे शिक्षक कह गया कोई उसे शिक्षक कह गया कोई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children