"शिक्षा के मूल्यों.....”
"शिक्षा के मूल्यों.....”
आया अब युग कैसा,
ये समझ न आया रे,
हाय मेरे राम कैसा,
दिन ये दिखाया रे।
आधुनिक गुरु अपना,
अब गरिमा भुलाया रे,
हाय मेरे राम कैसा,
अब दिन ये दिखाया रे।
छोटी मोटी बातों पर,
वह खिन्नज हो जाये,
वह बात बात पर अब ,
गाली गलोज कर जाये।
ज्ञान विज्ञान को पढा़ये,
संस्कार की पाठ न पढा़ये,
गुरु शिष्य की गरिमा को,
अब तार-तार कर जाये।
अखबारों में कुकृत्य का,
संदेशा है छप जाये रे।
हाय मेरे राम कैसा,
अब दिन ये दिखाया रे।
पढ़ लिख ये शिष्य अब,
अपना संस्कार भुलाये,
आधुनिक चोला ओढ़े,
अपनी मर्यादा गवाये।
जैसे सावन की बदरिया,
बिन बरसे चल जाये,
जैसे अंबर गिरे धरा पे,
और धरा फट जाये।
वैसे ही गुरुजन का,
दिल को दुखया रे
हाय मेरे राम कैसा,
दिन ये दिखाया रे।
शिक्षा के मूल्यों को,
ये समझा न पाया रे,
हाय मेरे राम कैसा,
अब दिन ये दिखाया रे।