गुरु कहां गए वह गुरु
गुरु कहां गए वह गुरु
अब कहां गए वह गुरु जो,
आदि काल में पूजे जाते थे।
अब कहां गए वह गुरु जो,
आदर्श मार्ग को बतलाते थे।
दिव्य ज्ञान प्रकाश को फैलाने,
एकांतवास गुरुकुल बनाते थे।
अब कहां वह गुरु जो खुद में,
गोविंद से ऊपर स्थान पाते थे।
गुरु आज्ञा को शिष्य आरूणी,
जल धारा में मेढ़ बन जाते थे।
अब कहां गए वह गुरु शिष्य जो,
अपने मर्यादा को वह निभाते थे।
गुरु दक्षिणा को शिष्य एकलव्य,
काट अंगूठा भी दान कर जाते थे।
अब कहां गए गुरु के शिष्य जो,
चरण रज कर नहीं थक पाते थे।
गुरु की गरिमा यूँ बना रहे सदा,
श्रद्धा सुमन अर्पित कर जाते थे।