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Rajesh Kumar Verma "mirdul"

Abstract

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Rajesh Kumar Verma "mirdul"

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माँ

माँ

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202


मां पृथ्वी है जगत है धुरी है 

मां धरा पर जीवनदायिनी है

मां के बिना सृष्टि अधूरी है...

मां ममता की छांव है

मां आंखों की काजल है

मां के बिना ममत्व अधूरी है...

मां शक्ति है रक्षक है टीका है

मां जननी है जगत है दृष्टि है 

मां के बिना कृति अधूरी है...

मां के चरणों में सारा संसार है

मां के आंचल में भरा प्यार है

मां के बिना ज्ञान अधूरी है......

मां छोटे बड़ों की संस्कार है 

मां से ही भरा पूरा परिवार है

मां सृष्टि की अनुपम उपहार है....



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