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Rajesh Kumar Verma "mirdul"

Abstract

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Rajesh Kumar Verma "mirdul"

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यादों की बारिश

यादों की बारिश

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   तपिश वसुधा पर जब,

   बूंदों की बौछार छाई!


   यूं शुष्क पड़ा तन पर, 

   रूह खूब ली अंगड़ाई!


   हर्षित मन होकर धरा,

   तन मन स्फूर्ति जगाई!


   वसुधा पर नव कोपल, 

   दूर्वाश की चादरें आई!


   वर्षा की रिमझिम बूंदें,

   अल्हड़पन को जगाई!


   प्रिया के मन में प्रीतम, 

   प्रेम की अगन जगाई!


   अधरों पर प्रेम की बूंदें,

   बादल सा खुब बरसाई!


   अंक पाश में बांधे दूजे,

   बारिश में खूब इतराई!


   बारिश की बूंदों ने हमें,

   पुरानी यादों में ले आई! 



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