शिकायत
शिकायत
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क्यों ?
क्या?
सोच रहे हो?
मेरी खूबसूरती पर लिखने के लिए
अब छोड़ा ही क्या है मुझमें
खूबसूरत कहलाने के लिए ?
मैं प्रकृति ,
मैने सर्वस्व दिया
तुम्हें सँवारने के लिए
तुमने मेरा सब कुछ छीना
अपने स्वार्थ के लिए
तुम्हारी बातें अब
झूठी लगती हैं
तुम्हारे वादे
दिल चीरते हैं
पता नहीं कौन सी नई
खुराफात तुममें उपजे
और ...
मेरा .....
दिल ....
छलनी हो जाए...