शीर्षक
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विजयदशमी पर्व ,रावण का ध्वस्त गर्व ,
माता दुर्गा की कृपा से , हुई अधर्म की हार ।।
जीत होती धर्म धरा, अधर्म भूमि पे पड़ा ,
सत्य और न्याय सदा , पाते जय जय कार ।।
रावण था अति ज्ञानी, पर किया मनमानी ,
जानकी को लिया चुरा , श्रीराम से ठाना रार ।।
सात्विक श्री राम प्रभु , रघुकुल शिरोमणि ,
कर शक्ति आराधना , रावण को दिए मार ।।
