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डॉ. Pankajwasinee

Classics

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डॉ. Pankajwasinee

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शीर्षक

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विजयदशमी पर्व ,रावण का ध्वस्त गर्व ,

माता दुर्गा की कृपा से , हुई अधर्म की हार ।।


जीत होती धर्म धरा, अधर्म भूमि पे पड़ा ,

सत्य और न्याय सदा , पाते जय जय कार ।।


रावण था अति ज्ञानी, पर किया मनमानी ,

जानकी को लिया चुरा , श्रीराम से ठाना रार ।।


सात्विक श्री राम प्रभु , रघुकुल शिरोमणि ,

कर शक्ति आराधना , रावण को दिए मार ।।


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