व्रत - उपवास
व्रत - उपवास
उपवास :
संकल्प की सबसे सहज राह!
आती है इससे मन की दृढ़ता!!
चंचलता के इस युग में!
विकल पुकार दृढ़ता की!!
तभी होगा राष्ट्र का कल्याण!
सरल होगी राह मानवता की!!
उपवास :
तन करता भीतर से स्वच्छ!
मन को करे पावन निर्मल!!
जिनके नाम करो उपवास!
दिन भर रहता उनका ध्यान!!
आया पर्व ले दिव्य उजास !
कर लो नवरात्र का उपवास!!
अहर्निश करो माँ का ध्यान...
माँग लो मन की पवित्रता!
मन के विकारों से मुक्तता.!!
देख किसी एकाकी चिड़िया को...
निज पंजों से नहीं नोचोगे उसके पंख!
चोंच मार मार नहीं करोगे उसे रक्त रंजित!!
करना आँखों का उपवास नित!
कामुकता का न देना उसे तामस आहार!!
करना मन का भी उपवास नित!
उच्छृंखलता का न देना उसे आहार!!
विकारों के खाद्य से उसे रखना प्रतिबंधित!
तभी मानवता रहेगी सुख - आनंद -प्रफुल्लित!!
