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परम स्नेहमयी स्कंदमाता !
मन से करो माँ -आराधना !!
मनोरथ सारे पूर्ण करतीं !
मातु मोक्ष के द्वार खोलतीं !!
रूप शुभ इनका अति मनोहर !
भक्तजनों हित सदैव तत्पर !!
कर एक में लिए बाल स्कंद !
शोभित हैं उभय कर में कमल !!
शेष कर में धारे माँ तीर !
रणक्षेत्र में हैं अतुलित वीर !!
मातु हैं चारभुजा धारिणी !
पद्मासन -प्रिय सिंह वाहिनी !!
स्कंदमातु का सजा दरबार !
आसुरी शक्तियाँ गईं हार !!
आओ कर लो माँ की पूजा !
कल्याणकारी कौन दूजा !?!
मन में शुभता भरती माता !
तुझसे है माँ हिय का नाता !!
तुझ बिन माता हम हैं अनाथ !
कृपा, आशीष दे : कर सनाथ !!
तेरे हैं हम सभी स्कंद माँ !
सकल विपदा को कर भंग माँ !!
सारे क्लेश हृदय के हर लो !
प्रकाश प्रेम दया का भर दो !!
चरणों में धर शीश नवाएँ...!
भवसागर से झट तर जाएं !!
