करो माँ उद्धार
करो माँ उद्धार
भक्ति भाव ले हृदय, आए तव द्वार !
शीश नत चरणों में, करो मांँ उद्धार !!
सृष्टि की उत्पत्ति के पूर्व छाया था....
जग में चहुँओर गहनतम अंधकार !!
था न कोई भी जीव जंतु धरा पर !
तब लीं मांँ अंबे कुष्मांडा अवतार !!
मंद स्मिति से रच दिया कुल ब्रह्मांड !
कहलाईं आदिशक्ति चतुर्थ अवतार !!
आयु यश बल ऐश्वर्य प्रदायिनी हैं !
सृष्टिकर्ता माँ शुभता की आगार !!
शंख चक्र गदा धनुष बाण शुभ कमल...
कमंडल जपमाला अष्टभुजा धार !!
अनाहत चक्र को मांँ करें नियंत्रित !
गदा चिह्न है पूर्ण विजय : कुल विकार !!
ईश्वरीय ज्ञान धारण कर कमंडल !
करतीं प्रभु ज्ञान का अन्य में प्रसार !!
धनुष बाण चढ़ा ज्ञान - तीर चलाएंँ...!
शुभ कलश में धर भक्त हित अमिय सार !!
चक्र कराता निज शक्ति की पहचान!
कमल प्रतीक कलि- दोषों का परिहार !!
माला ले मांँ करें नित अजपा जाप......
इक परमात्मा शिव का ही लगातार !!
कहतीं मांँ : भक्तों, पहचानो निज स्रोत !
पा विकारों पर विजय, कर निज उद्धार !
