शीर्षक - गलती.... समय
शीर्षक - गलती.... समय
शीर्षक - गलती..... समय
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गलती तो हम सभी से होती हैं।
गर्म लहज़े तकरार से होती हैं।
सच गलती भी समय कहतीं हैं।
नासमझी और हालात गलती है।
जिंदगी में कभी भी गलती होती हैं।
राह के साथ हम सभी रोज चलते हैं।
गलती भी उसी राह पर हमें मिलतीं हैं।
चाहत और मोहब्बत में विश्वास रखते हैं।
हां बस गलती हम आधुनिक समय में करते हैं।
तेरी मेरी सोच समझ न एक-दूसरे के आती,
यही राह और अहम वहम गलती करवाती हैं।
आओ एक कदम बढ़ाए एक-दूसरे को हम,
समझते और हकीकत को पहचानते हैं।
गलती को स्वीकार कर गलती मानते हैं।
बस यही हम सभी शुरुआत करते हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उत्तर प्रदेश
