शीर्षक - दिखावा .... सोच
शीर्षक - दिखावा .... सोच
*शीर्षक - दिखावा.. सोच*
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आज कल दिखावें हम करते हैं।
दान दक्षिणा का दिखावा हम करते हैं।
कुदरत पर्यावरण संरक्षण होता हैं।
वृक्ष पेड़ हम जो लगा रहें हैं।
सच हम दिखावा ही तो कर रहें हैं।
पूर्वजों के प्रयास कुंए नल लगे हैं।
दान धर्म में हम सभी फोटो लगा रहे हैं।
हम सभी हवा पानी और आकाश धरा अग्नि का मोल देते हैं।
आओ दिखावा छोड़ कर कर्म प्रधान करते हैं।
जिंदगी और जीवन में सच समझते हैं।
सच नीरज दिखावा न समझते हैं।
सोच समझ विचार सच लिखते हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उत्तर प्रदेश*
