शीर्षक - दो पल की जिंदगी
शीर्षक - दो पल की जिंदगी
खुशनसीब है हम पाकर यह, दो पल की जिंदगी।
बनकर जीये इंसान हम यह, दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर----------------------------।।
जीवन है दिन-रात की तरह, कभी धूप तो कभी अंधेरा।
नहीं बनाये नहीं पराजय यह, दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर-----------------------------।।
जाति- धर्म और मजहब पर, नहीं करें कभी भेदभाव।
पूजे हमें याद करके हमारी यह , दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर----------------------------------।।
छल- कपट और बेवफाई, हम ना किसी से करें कभी।
वादे पर मर जाना सिखाती है यह,दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर---------------------------------।।
सबकी सुने, सबका ध्यान रखें, खुश हमसे हो यहाँ सभी।
पल दो पल का साथ हमारा है यह, दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर----------------------------------।।
हो जाये बलिदान खुशी से, अपने चमन-वतन के लिए।
हमपे कर्ज है अपने वतन का यह , दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर---------------------------------।।