शहादते सनम
शहादते सनम
माँ देख लिपट तिरंगा कफ़न कर आया हूँ।
होकर शहीद नाम ऊँचा वतन कर आया हूँ।
माँ भारती का लाल और तेरा भी हूँ,
पीठ नहीं दिखाया गोली बदन पर खाया हूँ।
दुश्मनों चबाऊँ चना फिर कोख पैदा करना,
तूफान मचाऊँ गीदड़ो कसम कर आया हूँ।
हर बार जन्म लूँगा भूमि भारत माँ,
लूँगा लोहा सीमा ये मनन कर आया हूँ।
लहराए तिरंगा ऊँचा ये ख्वाहिश है मेरी,
थर्राए दुश्मन जय हिन्द बुलंद कर आया हूँ।
देश विरोधियों अलगाववादियों सदद्बुद्धि दो माँ,
दिया जवाब करारा आतंकियो समन कर आया हूँ।
लाखो दुश्मन बुनियाद-ए-हिन्द हिला नहीं सकते,
बना शहादत-ए-सनम गुलज़ार चमन कर आया हूँ।