शब्दों के मोती
शब्दों के मोती
तेरा मेरा रिश्ता अधूरा
क्यों भगवान बंधन में बांधा
हाथ छूटा साथ छूटा ,बिखर गया सारा सपना।
तेरा दुर्घटना हुई मैं मर गया।
तेरा जनाजा निकला, मैं शव बन गई।
तू जलती चिता में लेटा मैं अंगारे बनी।
तेरा सूक्ष्म रूप मैं प्रेतात्मा।
किसको पूछूं, अंतरदाह किसका?
तेरा ना मेरा
उत्तर रखने तू कहां था?