शब्दों के मोती
शब्दों के मोती
मां (Bou)
मां एक शब्द नहीं
अनोखा एहसास
कोई लम्हा नहीं, कोई दिवस नहीं,
हर घड़ी ढूँढती है आंख।
बताओ कौन सा एक महीना
कौन से देश, जहां वो याद न आए।
जहां भी तुम जाओ,
भूला नहीं पाओगे वो है आसपास।
चुम्बक सा आकर्षण,
खींच लाता है उसका सम्मोहन।
बड़ी जादूगरनी
चुटकी में सुलझा देगी हर मुसीबत।
कोई गिला, शिकवा नहीं
हरदम मुस्कुराता चेहरा लिए
घूमें सामने हमारी।
धरती, गगन, विश्व ब्रह्माण्ड में
मेरी मां महान।
मां स्तनपान अमृत समान
उसे समझना बहुत गहन
गलती छुपाना हो जाता कठिन
मैं हूं तेरी गुड़िया रानी
तेरे से दूर जा न पाऊं
हर क्षण, हर पल याद करूं
मेरी बच्ची में तुझे देखूं
तेरी तरहा वो बनेगी जरूर
तेरी संस्कार कभी न भूलें
तेरी बातें पत्थर की लकीर
न मानती तो बनती सड़क के फ़कीर।
तेरी शिक्षा यही कहती,
दुनिया जितनी बुरी हो तुम रहो कोसों दूर।
समाज चाहे जितना सताए
हरदम मुंह में हंसी लाओ।
कभी ऐसा दिन आएगा,
तुझसे हमेशा के लिए बिछड़ना पड़ेगा
सोच के रोना आता था।
तू होती तो ये बोलती, ये दुनिया की रीत।
आज तेरी बहुत याद आए
तू कहां चली गई किसे बताएं।