शब्दों का मधुर जाल तुम कविता
शब्दों का मधुर जाल तुम कविता
शब्दों का मधुर जाल तुम कविता...
कवि की कल्पना, शब्दों की सरिता।
पन्नों पर जब बिखरी सिमट
बन गई कविता, महका गई सीरत।
सदियों की सुनाती दासतां
शब्दों का ..
चुन लिए शब्दों के सीप,
बनी कभी गजल, तो कभी गीत..
राज करे कविता, हर दिल पर
मधुर मुस्कान बन, सजी लबों पर।
शब्दों का ...
हास परिहास, अट्टहास
विध्वंस सृष्टी और आस
भाव अभाव, श्रृंगार, करुणा
प्यार मोहब्बत सब लगे अपना।
शब्दों का ...
दोहा, मुक्तक, माहिया कई रुप
सजे छंद, अलंकार, तराने खुब..
हंसी ठिठोली कवि सम्मेलनों की शान,
शब्द सुमन महका महफिलों की बनी जान।
शब्दों का ...