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Dr. Raghav Chauhan

Classics

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Dr. Raghav Chauhan

Classics

मंगलसूत्र

मंगलसूत्र

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मैं एक पवित्र रिश्ते का प्रमाण हूँ,

मैं एक सुहागिन स्त्री के जीवन का ब्रह्माण्ड हूँ।


रंग हूँ मैं धारण करने वाली रमणी का,

श्रृंगार हूँ मैं हर जगत जननी का।


मैं महत्वाकांक्षाओं का हार हूँ,

विनीतता कामिनी का व्यवहार हूँ।


मैं रिश्तों के प्रस्ताव से अनेक व्याख्याओं का प्रसार हूँ,

मैं मंगलमय परिस्थितियों की बौछार हूँ।


आपकी अपेक्षाओं से बढ़कर,

सिर्फ़ एक तरल पदार्थ से हटकर।


मैं एक उत्सव हूँ विवाह संस्कार का,

अत: मैं सार हूँ रिश्तों के उपचार का।


वायुमंडल के हर कमण्डल से पूछो,

श्रृंगार के हर कंगन से पूछो।


वो कहानियांँ सदियों की लाएंगे,

और तुम्हें मेरा महत्व बताएंगे।।


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