शब्द
शब्द
अपना हरेक शब्द
इस्तेमाल करने से पहले
हर इंसान को
अच्छी तरह
विचार कर लेना चाहिए,
वरना हम इंसानों की जिह्वा से
तलवार की तरह
निकला हुआ कोई शब्द
सुननेवाले इंसान के
स्वाभिमान को ठेस पहुंचाती है।
इसलिए हरेक अपरिपक्व इंसान को
अपनी जुबान को
लगाम देकर रखने की आवश्यकता है।
तभी इस संसार में हम
एक-दूसरे की भावनाओं का
उचित सम्मान कर सकते हैं,
वरना तथाकथित सांगठनिक कार्यप्रणाली
बस नाम के लिए ही
चलती रहेंगी...
अगर कोई इंसान
किसी दूसरे को
कटाक्ष किया करे,
तो इसमें नुकसान
उसी इंसान का ही होगा,
जिसने कटाक्ष किया !
अगली बार फिर कभी
कटाक्ष सुननेवाले उस
स्वाभिमानी इंसान से
सकारात्मक सोच पाने की
अपेक्षा ही न करें !!!
इसीलिए हर पल भलीभांति
सोच-समझकर ही
अपना मुंह खोला करें....
वरना निर्वाक रहें!
जरा संयम बरतें...!!
इसमें ही इंसानियत का
सही मार्गदर्शन होगा...
