"शौर्य "
"शौर्य "
बाँध कफन सेहरे की तरह, खून की होली खेला था,
वो देश के वीर शहीद ही थे, जिसने वो गोली झेला था।
जिनके हर त्याग और शौर्य भरी गाथाएं जन की बोली में,
वो इंकलाब का नारा था, आजादी दे दी झोली में।
रण का विधान, जब शंख बजा ,वो टूट पड़े थे बोली पर,
वो इंकलाब का नारा था, जब टूट पड़े वो गोली पर।
आ चलो चले उन मतवालों के आजादी की टोली पर,
जिन रण बाँकुरों ने सब छोड़ा ,इंकलाब की बोली पर
बाँध कफन सेहरे की तरह, खून की होली खेला था,
वो देश के वीर शहीद ही थे, जिसने वो गोली झेला था।