शैतानी उधेड़-बुन
शैतानी उधेड़-बुन
कुछ बूँदों के भय ने दुनिया के नजरिया को बदल दिया
कब तक हम अपने ही संसार से खिलवाड़ करते रहेंगे
प्राकृति के नियमों को अनदेखा करके खुदा बन गए हम
कब तक उन अनूठे विषाणु भरे जीवो पर शोध करेंगे ?
ख़ौफ़ मे सभ्यता के बदलते मनक जब युध को दावत देगे
सृष्टि की मार, बस रह जाएगी आपदाओं से एक विरानी !
