शायरी
शायरी
तुझसे बेवफ़ा सुनने की आदत कुछ इस कदर हो गई है
कि किसी रोज़ न कहो तो डर सा लगता है कि तू ठीक तो है।
तुझसे बेवफ़ा सुनने की आदत कुछ इस कदर हो गई है
कि किसी रोज़ न कहो तो डर सा लगता है कि तू ठीक तो है।