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Shikha shivangee

Tragedy

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Shikha shivangee

Tragedy

आदमी- सबसे श्रेष्ठ प्राणी??

आदमी- सबसे श्रेष्ठ प्राणी??

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उन्नाव के आग में आज

सिर्फ वो बेगुनाह नहीं जली है

आज जली है वो हिम्मत,

जो ग़लत होने पर अब कभी

आवाज़ नहीं उठाएगी।


आज जलें हैं वो सारे ख़्वाब,

जो अब आँगन में कोई

पायल नहीं छनकाएगी।

समशाबाद की आग में सिर्फ़

एक मासूम नहीँ भस्म हुई है

भस्म हुआ है सब्र का बांध,

जिसे टूटने से एक बदलाव आता था।


जली है उम्मीद,

अपने घरों को सुरक्षित बनाने का

और भस्म हुआ है वो हक़,

जिससे हम खुदको इंसान कहते थे।


अब इस बार न कोई अनशन होगा,

न कोई कैंडल मार्च

न कोई आस होगी, न कोई चमत्कार। 

इस बार होगा सिर्फ राख, उस आग का

जिसमें न जाने कितने सपने,

कितनी चीखें और कितने पुकार होंगे।

 

इस बार कालिख होगा

जो मस्तक पर हर एक के

विराजमान होगा,

जिसमे सिर्फ अफ़सोस

बेसुमार होगा।


आज उन सभी पीड़ितों से हृदय से माफ़ी

उनके एक एक दर्द के लिए

उनके हर एक अपमान के लिए

उनके जिस्म पे दिये हर एक घाव के लिए

उनके शरीर के भस्म हुए कण कण के लिए।


क्योंकि आज हम सिर्फ

आपको बचाने में

असफल नहीं हुए हैं

आज हम खुदको

एक प्राणी मात्र भी कहने के लिए

असफल हुए हैं।


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