शान्ति प्रेम हैं पूंजी
शान्ति प्रेम हैं पूंजी
शांति प्रेम दया करुणा, जीवन की पूंजी
सदा साथ रख ये, बंद कपाट की कुंजी
समर्थन हिंसा को ,राज्य लिप्सितसम्राट
कलिंग युद्ध में कर, भीषण नर मार-काट
मृतकों को देख दिल में उठा हाहाकार
ग्रसित अपराध भाव, ली शरण बुद्ध द्वार
समझ महत्व प्रेम का, विरक्ति युद्ध से
सत्य-बोध से हो गये, प्रायश्चित शुद्ध से
छूटते मनो अहंकार, उपजे करुणा उद्गार
व्यथित मन ले संकल्प, करेंगे शान्ति प्रचार
दीक्षित बुद्ध से, शोधित मन वन में बैठे
प्रेम मंत्रमुग्ध पशु-पक्षी हिंसा से न ऐंठे
हिरण-शेर मिल एक घाट में पानी पीते
आपसी सौहार्दभाव से दिन-रैन हैं बीते
होड़ मची अस्त्र-शस्त्र, छल युद्धाबिद्ध
लोभ भरी चाह में जीवन हुए रसरिक्त
शान्ति हल केवल प्रेमोपहार दें अपार
धर्मयुद्ध तब रमे जब हिया बसे संसार