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शाम का मंज़र

शाम का मंज़र

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कितना सुहाना होता है

शाम का मंज़र

मन मोह लेती है

अपने घरौंदों की तरफ

जाते हुए पंछियों

की उड़ान,

सूरज भी थका-हारा

अपने घर लौटने की

तैयारी में रहता है,

पर मुझे ये शाम

खाली-खाली

सुनसान सी

लगती है,

भरी हैं तो बस

ये आँखें

जिसके कारण सब धुंधला

नज़र आ रहा है,

सोचती हूँ

आज

बहने देती हूँ इन्हें,

ताकि ये साफ़ हो सकें,

और फिर

देख सकें

जीवन का

सुहाना मंज़र...

 


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