STORYMIRROR

Neha Tripathi

Fantasy Others

4  

Neha Tripathi

Fantasy Others

शाम बिछड़ कर जा रही है

शाम बिछड़ कर जा रही है

1 min
240

ये आने वाली शाम 

मुझसे बिछड़ कर जा रही है

मुझे ये शाम एक यादों का गुलदस्ता दिए जा रही है

याद न करूँ इस शाम को मैं ज्यादा इसलिए 

मुझे वह नववर्ष की सौगात दिए जा रही है


फिर एक नई सुबह होगी

नया एक सवेरा होगा

बीते वर्ष की तरह ही

नव वर्ष स्वागत तेरा भी होगा

फूटेंगे पटाखे

उल्लास मनाया जाएगा

बीते वर्ष की तरह ही नव वर्ष

तू भी कुछ खास हमारे लिए लाएगा

उम्मीद है हमें

इस वर्ष भी

खुशियां तू भी झोली भर के लाएगा


न कोई तकलीफ होगी

न कोई गम इस वर्ष आएगा

प्यार इस वर्ष तू सभी के ये लाएगा

उम्मीद के दिये फिर जलेंगे

तू सब पूरा कर दिखायेगा

ऐ नववर्ष पिछले वर्ष की तरह

स्वागत तेरा भी किया जाएगा....


   


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy