शाम बिछड़ कर जा रही है
शाम बिछड़ कर जा रही है
ये आने वाली शाम
मुझसे बिछड़ कर जा रही है
मुझे ये शाम एक यादों का गुलदस्ता दिए जा रही है
याद न करूँ इस शाम को मैं ज्यादा इसलिए
मुझे वह नववर्ष की सौगात दिए जा रही है
फिर एक नई सुबह होगी
नया एक सवेरा होगा
बीते वर्ष की तरह ही
नव वर्ष स्वागत तेरा भी होगा
फूटेंगे पटाखे
उल्लास मनाया जाएगा
बीते वर्ष की तरह ही नव वर्ष
तू भी कुछ खास हमारे लिए लाएगा
उम्मीद है हमें
इस वर्ष भी
खुशियां तू भी झोली भर के लाएगा
न कोई तकलीफ होगी
न कोई गम इस वर्ष आएगा
प्यार इस वर्ष तू सभी के ये लाएगा
उम्मीद के दिये फिर जलेंगे
तू सब पूरा कर दिखायेगा
ऐ नववर्ष पिछले वर्ष की तरह
स्वागत तेरा भी किया जाएगा....
