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Chandramohan Kisku

Abstract

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Chandramohan Kisku

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सच्चाई प्रकट होगी ही

सच्चाई प्रकट होगी ही

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ये न सोचो की तुम जीत गये

मुझे हरा दिया 

तुम्हारा अभिलाषा 

फला- फूला

जी भरकर खुश हुए 

हँसा दिल खोलकर 


मिट्टी की देह ही तो 

मिट्टी हुई 

तुम्हारे दानवी शक्ति से ही तो 

प्राण गया मेरा 

पर मेरे विचार और कामों पर 

तुम क्या करोगे 

तेज़ छुरी से वह 

काटोगे कैसे 

बन्दुक की गोली से वह

मारोगे कैसे 


सत्य की धरातल पर खड़ा 

मेरा काम और विचार 

सात- सात दरवाजे के अंदर 

रोकने पर भी 

पहाड़ के जैसे पत्थर से 

दबाकर रखने पर भी 

पीपल के पत्ते हिलने के जैसा 

लोगों के सामने आएगा ही 



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