सच्चाई का दर्पण
सच्चाई का दर्पण
मन के बन्द किवाड़ों को खटकाओ तो।
हर दिल के सोए अहसास जगाओ तो।।
आपस में हैं लड़ते भाई - भाई अब ,
भाईचारे की उलझन सुलझाओ तो ।
हर भूखे - अधनंगे तन मजलूमों के ,
जीवन में माहौल खुशी का लाओ तो ।
मंजिल खुद आकर कदमों को चूमेगी,
दिल में लिए हौसले कदम बढ़ाओ तो।
पतझर में भी आएगा मधुमास नजर,
मरुथल में फूलों का चमन सजाओ तो ।
परिवर्तन की आँधी का आदर्श बने,
खुद अपना ऐसा किरदार बनाओ तो ।
मिट जाएंगे अन्तस के अज्ञान-तिमिर,
ज्ञान-पुञ्ज के अन्तर्दीप जलाओ तो ।
निश्चित होगा बेनकाब नकली चेहरा,
सच्चाई का दर्पण अगर दिखाओ तो ।
घर - घर में है बसा बुराई का रावण,
दुनिया में अब राम ढूँढकर लाओ तो ।
मानवता कायम होगी इस धरती पर,
सत्य अहिंसा सदाचरण अपनाओ तो ।
सुख के साथी तो सबके दिन-रात रहे,
दुर्दिन में भी काम किसी के आओ तो ।
असर नहीं कर सकता जहर बुराई का,
सरल शुद्ध पावन चन्दन बन जाओ तो ।
