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Uma Shankar Shukla

Inspirational

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Uma Shankar Shukla

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सच्चाई का दर्पण

सच्चाई का दर्पण

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मन के बन्द किवाड़ों को खटकाओ तो। 

हर दिल के सोए अहसास जगाओ तो।। 

आपस में  हैं  लड़ते  भाई - भाई  अब ,

भाईचारे  की  उलझन  सुलझाओ  तो ।

हर  भूखे - अधनंगे  तन  मजलूमों के ,

जीवन में माहौल खुशी का लाओ तो ।

मंजिल खुद आकर कदमों को चूमेगी, 

दिल में लिए हौसले कदम बढ़ाओ तो।

पतझर  में  भी आएगा मधुमास नजर, 

मरुथल में फूलों का चमन सजाओ तो ।

परिवर्तन  की  आँधी  का  आदर्श बने, 

खुद  अपना ऐसा  किरदार बनाओ तो ।

मिट जाएंगे  अन्तस  के अज्ञान-तिमिर, 

ज्ञान-पुञ्ज के  अन्तर्दीप  जलाओ तो ।

निश्चित  होगा  बेनकाब  नकली चेहरा, 

सच्चाई  का दर्पण  अगर दिखाओ तो ।

घर - घर  में  है  बसा  बुराई का रावण, 

दुनिया  में  अब  राम ढूँढकर लाओ तो ।

मानवता  कायम  होगी  इस धरती पर,

सत्य अहिंसा  सदाचरण  अपनाओ तो ।

सुख  के  साथी तो  सबके दिन-रात रहे, 

दुर्दिन  में  भी  काम किसी के आओ तो ।

असर  नहीं  कर  सकता जहर बुराई का, 

सरल  शुद्ध  पावन चन्दन बन जाओ तो ।


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