सच्चाई, अच्छाई और शीलता
सच्चाई, अच्छाई और शीलता
कहाँ-कहाँ से आए हैं
कहाँ-कहाँ को जाएंंगे
कहाँ-कहाँ से लाए हैं
कहाँ-कहाँ ले जाएंगे
कहीं सच दौड़कर आएगा
अच्छाई भी ले आएगा
फिर मानव
सफल जन्म पाएगा
उसका मनोबल
शील हो जाएगा
राष्ट्र उत्साह बरसाएगा
और गांधी जी का
स्वपन संपूर्ण हो जाएगा
कोई बुरा नहीं कह पाएगा
न कोई बुरा सुन पाएगा
कोई बुरा देख भी न पाएगा
और मन वांछित फल पाएगा।