सच्चा मददगार
सच्चा मददगार
श्री राकेश साह जी, आप महज़ एक साधारण ऑटोरिक्शा चालक नहीं,
बल्कि एक आदर्श जीवनशैली को अपनाने वाले असाधारण व्यक्तित्व के धनी हैं,
जिन्हें अपने कर्तव्य के पथ से
कोई विचलित नहीं कर सकता !
३१ अगस्त, २०२५ की रात को गुवाहाटी-लीडो इंटरसिटी से यात्रा संपन्न कर
बोकाजान रेलवे स्टेशन पर उतरकर
ऑटोरिक्शा के इंतजार में खड़े रहते वक्त
अति उत्साहित भाव से आप का
शैला मंदिर पथ से होते हुए सरूमांथी-कछारी गांव में अवस्थित विवेकानंद केंद्र, खटखटी तक की दूरी तय करने में
कोई आनाकानी न करते हुए
आपका सहर्ष राज़ी हो जाने पर
मुझे अपने सफर में
अपनेपन का जो
अनूठा अनुभव हुआ,
वहीं स्वतः कविता के रूप में
अंतर्मन से प्रस्फुटित
सुगंधित पुष्प की तरह
एक मनोग्राही भावनात्मक सोच की
प्रेरणास्पद संपर्क को
सुदृढ़ करने में
कामयाब सिद्ध हुआ !
ओ राकेश साह जी, आपको मेरा
यही कृतज्ञता ज्ञापन है...!!!
