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PRADYUMNA AROTHIYA

Romance

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PRADYUMNA AROTHIYA

Romance

सच यही है

सच यही है

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वो अजनबी होकर भी

अपना-सा लगता है,

देखकर उसको हृदय में

संगीत-सा बजता है।

रंग चेहरे का खमोशी में

हर रोज उतरता है,

न देख गली में उसको

दिल टूटा-सा लगता है।

वह दूर सही 

पर मन की आँखों में वो ही बसता है,

यादों में जीने को 

मन प्रेम दीप-सा जलता है।

अनछुआ-सा स्पर्श उसका

हर वक़्त दरवाजा खटखटाता है,

मन भी बेताबी में

दरवाजे पर बैठा रहता है।

वो प्यार भरी आवाज में

दूर से ही बुलाता है,

मिलने का वादा कर 

वह कहीं और चला जाता है।

फिर मन खुद से ही

खुद को समझता है,

सच यही है

यहाँ कोई न आता जाता है।


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