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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

सबसे ज्यादा

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जिनके मकान बारिश में भीगे होते है

वो ही सबसे ज्यादा भूखे-नंगे होते है

जिनके घर नफ़रतों से भरे होते है

वो ही लोग गुड़ से ज्यादा मीठे होते है

जिनके घर पर खाने के दाने न होते है

उन्हीं के सबसे ज़्यादा दिखावे होते है


जिनके मकान बारिश में भीगे होते है

वो ही सबसे ज्यादा भूखे-नंगे होते है

वो पानी में रहकर सुलगते रहते है,

जिनके मन में कपट छिपे होते है

वो हंसकर हर गम को सह जाते है

जिनकी आंखों में आंसू भरे होते है

वो लोग बोलकर भी चुप रहते है,

जिनके हृदय में दीप जले होते है



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