सबक
सबक
फिर से मिला जिंदगी में सबक
स्वार्थी लोगों की न कर तू मदद
यह खाते सदा हराम का नमक
कितना ही भला कर, देंगे पटक
बुरे लोग होते है, सर्प की नस्ल
कितना दूध पिलाओ, देंगे गरल
यह बुरे लोग करते है, सदा छल
दुर्जन गंगाजल बदले देते दलदल
फिर से मिला जिंदगी में सबक
दुष्ट लोगों की नहीं कर तू संगत
साथ रहनेवाले का करते कत्ल
जिसमें खाते, छेद करते जल्द
अहसान फरामोश लोगों से बच
यह तेरी जिंदगी करे देंगे नर्क
कृतघ्न से कोसो की दूरी रख
तभी महक पायेगा यह चन्दन
यदि गुणचोरों से रखा सम्पर्क
छीन लेंगे तेरे चेहरे की चमक
कुत्ते की दुम सीधी वो सकती,
ऐसे झूठे लोग है, वो टूटी सड़क
अपने साथ वाले को डालते गर्त
दुर्जनों की होती है, बुरी अक्ल
जिंदगी में दुःखी न करनी शक्ल
कभी कृतघ्नों की न करना नकल
जिंदगी में फिर से मिला सबक
स्वार्थी लोगों की न कर तू मदद
अंधेरे में जलाना सदा वो दीपक
तम साथ करे, दगाबाज का कत्ल