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Rajeev Kumar

Abstract

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Rajeev Kumar

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सब कुछ बिखरा है

सब कुछ बिखरा है

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कोई सुगबुगाहट हुई

जीवन का दर्पण निखरा है

अफसाने तो अफसाने रहते हैं

हकीकत में सब कुछ बिखरा है।


अंजाम की परवाह अगर हो

तो फिर आगाज अच्छी करो

खूबसूरती बरकरार रखना हो अगर 

तो साज अच्छी करो।


रास्ते की ठोकरों से न खौफ खाओ

मंजिल की तरफ एक कदम तो बढ़ाओ

मगर यह भी है कि किसी को आईना दिखाने से पहले

खुद एक बार आईना तो देख आओ।



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