सब कहते हैं
सब कहते हैं
सब कहते है
लड़की के नाम पर कलंक हो तुम
न श्रद्धा है तुम्हारे भीतर
न ही करती हो पूजा-पाठ
सब कहते है
जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर
बच्चियां भी रखती है व्रत
तू कैसी मनहूस है
जो व्रत रखने में भी कंजूस है
न करती हो विश्वास
न रखती हो ईश्वर में आस
कैसी हो तुम
लड़की के नाम पर कलंक हो तुम
मैं सोचती हूं कि
उस मिट्टी के भगवान को पूजने से
यदि पुण्य मिलता है
तो गरीब की झोंपड़ी को पूजते है
जो पक्की ईंटों से नहीं मिट्टी की बनती है
ब्रह्मा में विश्वास रखने से
यदि हिम्मत मिलती है
तो मैं खुद लड़ना सीख लेती हूं
आत्मविश्वास बढ़ेगा
झूठी श्रद्धा से दीया जलाने को पूजा कहते है
तो गरीब के अंधेरी झोंपड़ी में मोमबत्ती जला देते है
पूजा तो नहीं होगी पर रोशनी जरूर मिलेगी
सिर्फ बातें नहीं बना रही इज्जत पाने के लिए
आधी रोटी खाई थी कभी किसी का पेट भरने के लिए
मन्दिरों में चढ़ावा चढ़ाकर भगवान खरीदना चाहते हो
किसी मददगार को देकर देखो, अपना भगवान वो तुम्हें बना लेगा
गुस्सा आता है मुझे झूठा दिखावा देखकर
अरे एक बार तो कोशिश कर, इंसान के साथ इंसान बनकर
क्योंकि न तुम बड़े हो न कभी हो सकोगे
ईश्वर छोड़ मानव की रक्षा करके तो देखो
खुद में ब्रह्मा को पा सकोगे।
