ऐ हालात
ऐ हालात
ऐ हालात,
तेरी मुझसे दुश्मनी क्या है ?
तू ने मुझसे मेरा बचपन छीन लिया..
मेरा कसूर तो बता आखिर
क्यों तू ने मुझे वक़्त से पहले बड़ा कर दिया..
किस गलती की सजा दे रही है,
कि इस उम्र में ही मैंने इतना सब सह लिया..
मिले आंसू तो बहुत मुझे..
मिले आंसू तो बहुत मुझे..
लेकिन आंसुओं के बोझ ने ही मुझे रोना भुला दिया
अनुभव भी मिला तुझसे,
कि ज़िन्दगी ही मेरी जीने की वजह हो गई..
दर्द भी तू ने बहुत दिये
कि सरहद पार करना ही मेरी ज़िद्द बन गई..
ऐ हालात,
मुझे समझ में नहीं आता
तू ने कभी इतना रुलाया था
पर आज तू खुशियों की वजह बन गई
आंखें जितनी गीली हुई..
मैं उतनी कठोर हो गई..
आज झूम रही हूं ऐसे
जैसे वन में नाचती मोर हो गई..।
