कविता क्या है
कविता क्या है
कविता ज़बान हमारी
जो मूक, पर बोलती बहुत है
कोरे कागज पर अंकित
शब्दों का ज्वालामुखी
जिसमें क्रांति बहुत है
कहीं सौंदर्य तो कहीं यशगान है
मैं कविताओं से भरी हूं
ये विश्वास है मेरा,
नहीं कोई अभिमान है ।
आंसू नहीं बहते हमारे
बस आह निकलती है तो इन कविताओं में
मेरा अस्तित्व मुझमें कहां
मैं तो बसी हूं इन कविताओं में
सारा दर्द बयान हो जाता है
क्या क्षमता है इन कविताओं में
आंसू नहीं बहते हमारे
बस बहता है मन में शब्दों का सागर एक
जो पंक्तियों के लहरों से
मिटा देते है पीड़ाएं अनेक ।