सौहार्द
सौहार्द
सौहार्द्र
सौहार्द्र प्रेम है, अपनापन है
दोस्ती है,भाई चारा है
स्नेह है, आपसी मित्रता है
और हमारे ह्रदय की धड़कन है
अगर हमारे देश से
जातिगत व्यवस्था
और परम्परागत धर्म
हट जाए
तो हमारा देश
साम्प्रदायिक सौहार्द्र
की मिसाल बन जाए
पहचानों अपनी खामियों को
पहचानों सामनें वाले की खूबियों को
जिस दिन ऐसी सोच लाओगे
सचमुच सौहार्द्र की मूर्ति बन जाओगे
हर धर्मावलम्बी अपनी-अपनी
समस्यांओं में उलझा रहता है
सौहार्द्र की बातें तो है सबकी जबान पर
मगर कोई पहल नहीं करता है
जब तक देश में
साम्प्रदायिक सौहार्द्र कायम रहेगा
देश में शांति,अमन
और भाईचारा हमेशा छाया रहेगा
जैसे खेत के लिये
खाद जरूरी है
उसी प्रकार मनुष्य की
प्रगति के लिये सौहार्द्र
जरूरी है।