मंजिल (कुंडलियां)
मंजिल (कुंडलियां)
पूरी होगी साधना, चलें कर्म की राह।
पाते हैं मंजिल वही, होती जिनको चाह।।
होती जिनको चाह, वही मंजिल तक चलते।
चले समय के साथ, नहीं साधक हैं थकते।।
जिसने लिया है ठान, नहीं है मंजिल दूरी।
चलने की हो चाह, साधना होती पूरी।।
