D.N. Jha
Abstract Action
कभी सर्दी कभी गर्मी, कभी बादल घनेरा है।
तुम्हीं से चन्द्रमा सूरज, तुम्हीं से ही सवेरा है।
सभी का साथ है तेरा, दिलों में आप हैं हरदम-
जहां में वास है तेरा, यहाँ सबका बसेरा है।
चंद्रयान
चारधाम (कुंडल...
महॅंगाई
मालिक
विश्राम को हर...
योग
आएगा तूफान
बिखर रहे परिव...
आओ सीखें कुछ ...
किसान
कुछ ऐसे भी होते हैं जो बदन पर खाल के जैसे हमेशा को रह जाते हैं ! कुछ ऐसे भी होते हैं जो बदन पर खाल के जैसे हमेशा को रह जाते हैं !
और मैं चुपचाप चुप हो गई हमेशा के लिए...। और मैं चुपचाप चुप हो गई हमेशा के लिए...।
कभी नहीं आ पायेंगे जो, कभी किसी दिवाली में।। कभी नहीं आ पायेंगे जो, कभी किसी दिवाली में।।
जब मैं बोल भी नहीं पाता था.. सिर्फ़ मेरे इशारों से मैंने उन्हें हर ख्वाहिश पूरा करते दे जब मैं बोल भी नहीं पाता था.. सिर्फ़ मेरे इशारों से मैंने उन्हें हर ख्वाहिश पूर...
दीवार उसे ख़ूब शानदार दी जाल बुनने को खलिहान दिया। दीवार उसे ख़ूब शानदार दी जाल बुनने को खलिहान दिया।
हर तरफ टूट-टूट कर गिर रहा है वक्त का तंत्र और मुझे कविताओं की चिंता है। हर तरफ टूट-टूट कर गिर रहा है वक्त का तंत्र और मुझे कविताओं की चिंता है।
दिलों की गर्द लिख दूं, झूठ की हद लिख दूं। दिलों की गर्द लिख दूं, झूठ की हद लिख दूं।
गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक महसूस किय गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक ...
टुकड़ा - टुकड़ा बंटकर भी, अपना वजूद सिद्ध कर जाऊंगी ! टुकड़ा - टुकड़ा बंटकर भी, अपना वजूद सिद्ध कर जाऊंगी !
दुनिया के सबसे बेहतरीन मास्टरपीस। दुनिया के सबसे बेहतरीन मास्टरपीस।
सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं
ककहरा को ककहरा ही रहने दें, उसके दुष्प्रयोग से नई व्याकरण न लिखें। ककहरा को ककहरा ही रहने दें, उसके दुष्प्रयोग से नई व्याकरण न लिखें।
अपने मन के तालाब में खिले कमल को कैसे संभालना है जानती है अब मुनिया अपने मन के तालाब में खिले कमल को कैसे संभालना है जानती है अब मुनिया
वहां तुम्हारा राज चलेगा, है ना, सब कुछ शानदार। वहां तुम्हारा राज चलेगा, है ना, सब कुछ शानदार।
तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में, तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में,
क्या, मेरा जीवन किसी सिनेमाघर के पर्दे से कम है ! क्या, मेरा जीवन किसी सिनेमाघर के पर्दे से कम है !
शंख की ध्वनि का हस्तक्षेप फिसल जाये पत्थर की काया से। शंख की ध्वनि का हस्तक्षेप फिसल जाये पत्थर की काया से।
सुना है दबे पांव ही आता है प्रेम। सुना है दबे पांव ही आता है प्रेम।
शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ। चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बेटियाँ। शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ। चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बे...
यही बात बार-बार मनुष्यों से कहता हूँ मैं हाँ, समुद्र हूँ मैं। यही बात बार-बार मनुष्यों से कहता हूँ मैं हाँ, समुद्र हूँ मैं।