वक्त
वक्त
वैसे कहानी का दौर चलता रहता है,
कोई अपना आता हैं कोई चला जाता है,
तुम क्यों आए हो इस दुनिया में ?
कोई राह चलता आदमी पूछता रहता है,
मेरी भीतर की गहराई मुझे कहती है की तू खामोश रहता है ,
सरफिरा है क्या ?
हम कहते हैं वक्त इंसान को खोखला बना देता है,
कभी सड़कों पे लोगों से मशवरा पूछता है,
तो कभी किनारा बैठकर खुद रोता है,
और सोचता है मैं इस दुनिया में आया ही क्यों हूं ?
वैसे कहानी का दौर चल रहा है ,
कोई अपना आता हैं कोई चला जाता है।
