सावन महीनवा में
सावन महीनवा में
जब आवै सावन महीनवा,
हरषै ख़ूब मनवा हमार!
चारों तरफ़वा हरा भरा लागै,
प्रकृति में दीखेला बस प्यार!!
सावन के रतिया पपीहा बोले,
कोयलिया भी करै जब पुकार!
मन भावन पिया कै आवन,
बार बार होए ख़ूब मनुहार!!
सावन महीनवा सब घरवा में,
झूलवा पड़ेला हर बार!
जिया बहके रस्सियाँ हो ऊपर,
पूरे देहिया में हो जाए ख़ुमार!!
आसमनवा में होए बदरिया,
यौवन पर आवैला निखार!
कोयलिया टेरे डलिया से,
उमड़ेला पिया कै तब प्यार!!
बदरा गरजै बिजुरिया चमकै,
पनिया बरसै चलै ख़ूब ही बयार!
इक इक बुंनिया लागै मोतिया,
बिरहन की अखियाँ में जलधार!!