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Vishwa Prakash Gaur

Romance

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Vishwa Prakash Gaur

Romance

साथी !

साथी !

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साथी हम तुम दोनों मिलकर, लिख जाएंगे गीत नया।

नई धुनें कुछ लाकर नभ से, रच देंगे संगीत नया ।।


भौरों को नव गुन गुन देंगे, कोयल को इक नई रागिनी।

तारें शोख अदा से चमकें, चांद बिखेरे धवल चांदनी।

सीप और मोती का होगा, जग में फिर से प्रीत नया ।।

नई धुनें कुछ लाकर नभ से, रच देंगे संगीत नया।।


फूल तुम्हारे चेहरे से, सीखेंगे खिलकर मुस्काना ।

चंदा और चकोरी का, होगा फिर से नव याराना ।

पपिहा भी ढूंढेगा जग में, फिर से इक मनमीत नया ।।

नई धुनें कुछ लाकर नभ से, रच देंगे संगीत नया।।


केश तुम्हारे मेघों में भी, नवल छटा भर जाएंगे।

नयन कंटीले मतवाले, मौसम में मद भरा जाएंगे।

सावन भी सीखेगा जग में, छाने का इक रीत नया।।

नई धुनें कुछ लाकर नभ से, रच देंगे संगीत नया।।


गालों की लाली से सूरज, नव प्रभात को लाएगा ।

मधुर तुम्हारी बातें सुनकर, झरना गीत सुनाएगा।

शोख हवाओं में जागेगा, फिर से एक प्रतीत नया।।

नई धुनें कुछ लाकर नभ से, रच देंगे संगीत नया।।

साथी हम तुम दोनों मिलकर, लिख जाएंगे गीत नया।

नई धुनें कुछ लाकर नभ से, रच देंगे संगीत नया।।


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