साथ हो ना
साथ हो ना
खुलेगी गांठ मन की साथ हो ना
छूटेगा हृदय का धड़क कम्पन
चढ़ेगी आँखों पर अभिमाद का नशा
फिर खड़े-लड़े जीवन की धार अकंपन।
आज प्राणों से हुआ हाथ धोना
क्या तुम मेरे साथ हो ना
बातों – बातों में कुछ गांठ पड़ेगी
खंजर की तरह गड़ेगी कुम्हलायेगी कली ना।
पाना ही जीवन की बस इक अभिलाषा
खोना पड़े तो साथ तुम मेरे हो ना
हाथ कटे या माथ कटे अब जीवन में
अपने को सदा सर्वदा होगा बचा लेना।
कहीं कोना अधूरा न रह जाय हृदय का
हृदय की पीड़ा को विष समझ पी लेना।।