Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Madhu Vashishta

Tragedy

4  

Madhu Vashishta

Tragedy

साफ घर

साफ घर

1 min
288


आकर तो देखो घर वैसा ही साफ है जैसा तुम चाहते थे देखना।

तीन दिन हो गए मैं तो अब चाहती भी नहीं उठना।

बेटी की विदाई के बाद खोली नहीं मैंने उसकी अलमारी।

कुछ पुराने कपड़े छोड़कर उसने ही कर दी थी अलमारी खाली सारी।

अबके जाते हुए बेटे ने भी

अपना बैट, रैकेट और सारा सामान उठाया था।

पैकिंग के बाद साफ कर दिया था उसने जो कुछ भी फैलाया था।

सासू मां के जाने के बाद फेंक दी थी सारी दवाई की शीशियां।

अब यहां वहां नहीं फैली मिलती है डॉक्टर की पर्चियां।

बच्चों के दोस्त भी अब आते नहीं।

चाय नाश्ते के बर्तन भी अब फैलाते नहीं।

बैठ जाओ कुर्सी पर तो उठने की जरूरत ही नहीं।

कोई भी तो इस घर में अब आता जाता नहीं।

यूं ही कान में आवाज गूंजती रहती हैं।

कोई भी तो कमरे में बोलता नहीं ,

न जाने फिर भी हर समय कान में किसकी आवाज सुनती है।

यह जीवन है मिलता इस जीवन में सब कुछ है जो कि हम चाहते हैं।

बस समय बदल जाता है तब क्यों नहीं मिलता जब हम चाहते हैं?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy