सांकेतिक बातें
सांकेतिक बातें
प्रतिष्ठा और अहंकार ही, अनुशासन हीनता का मूलक है।
ईर्ष्या और द्वेष उसको हैं ड़स लेते, जो पतन रूपी दुष्पालक हैं।।
मत करना अपमान किसी का, कड़े शब्द मुख पर मत लाना।
दु:ख देना विनाश का कारक, ईश्वर से सदा भय तुम खाना।।
सहनशीलता रूपी मंत्र अपना ले, अनुशासन को अपना अंग बना ले।
इन गुणों को पाकर तुम एक दिन, स्वर्ग से ऊंचा महल बना ले।।
दुर्गुणों को तुम दूर भगाना, ईश्वरीय गुणों को ही अपनाना।
व्यवहार, आचरण पवित्र बनेंगे, आंतरिक प्रसन्नता को तड़पाना।।
गुरु शक्ति में सदा लीन रहना, अहंकार, बनावट को दूर भगाना।
" नीरज" गर चाहता आदर्श जीवन, परमार्थ पथ को ही अपनाना।।
