साम्राज्य
साम्राज्य
साम्राज्य हो खुशियों का
धरा हो हरी - भरी।
निःस्वार्थ कर्म करके
मुस्कुराए हर दिल।
कर्तव्य पथ पर चलकर
ईमानदारी से निभाए सभी
किरदार अपना।
हाँ तभी होगा साम्राज्य
खुशियों भरा।
रचना - स्वरचित / मौलिक
रचयिता - आचार्या नीरू शर्मा
शिक्षिका / लेखिका
स्थान - कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश ।