जीत सकता तू ताज
जीत सकता तू ताज
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जब अंधकार ही सब ओर दिखता हैं,
राह रोकने मेघ गरजता हैं,
निराशाओं का बादल घिरता हैं,
कंटकमय पथ हो जाता है
तब तुम मन मे प्रेरणा बन मुस्काते हो
कहते हो तू चल अकेला
न कोई साथ है तो चल अकेला
पा सकता तू हर लक्ष्य
चीर सकता हैं हर दुख का घेरा
तू चल अकेला
आशंकाओं पर तू तीर साध
बना अंधकार में भी राह
आशाओं की नई किरण बना
तू चल अकेला
जीत सकता तू
पहनना हैं तुझे अब ताज
मुश्किलों को बना सरताज
सीख इनसे विजय का राज
चल अकेला आज
जीत सफलता का तू ताज।