हाँ मैं एक नारी हूँ ।
हाँ मैं एक नारी हूँ ।


ब्याह होते पीहर देखो छोड़ चली आज,
अब दो घरों की रखनी होगी मुझको लाज।
कुछ भी करने से पहले सोचना होता मुझे,
क्या कहेगा मेरे विषय में ये समाज।
दो -दो घरों की सम्भालती ज़िम्मेदारी हूँ,
हाँ, मैं एक नारी हूँ।
आवाज़ हक़ के लिए उठा नहीं पाती हूँ,
अपनों की खातिर कभी मौन मैं रह जाती हूँ।
गुज़रती हूँ रोज़ असंख्य वेदनाओं से लेकिन,
अपने मुख से कभी कुछ न कह पाती हूँ।
भले आज हालातों की मारी हूँ,
हाँ, मैं एक नारी हूँ।
सह जाती हूँ सब तो कमजोर न समझना,
मेरी अस्मिता की ओर नज़रें न ऊँची करना।
यही नारी काली का रूप अगर ले लेगी,
फिर असंभव होगा तुम्हारा जग
में रहना।
मैं नहीं कोई बेचारी हूँ,
हाँ, मैं एक नारी हूँ।
विष्णु के संग लक्ष्मी बनकर साथ हूँ निभाती,
कैलाशी शिव के संग पार्वती रूप में नज़र आती।
नारी देवी नारी शक्ति नारी भक्ति नारी मुक्ति,
संसार की एक अभिन्न अंग के रूप में मैं हूँ पूजी जाती।
संपूर्ण स्वयं में सारी की सारी हूँ,
हाँ, मैं एक नारी हूँ।
असहनीय पीड़ा बालक के जन्म के समय सहती हूँ,
नए अंश का सृजन मैं अपने गर्भ में करती हूँ ।
अत्यधिक भावुक हूँ मैं ये तो सारा जग जानता है,
अपनों पर जान भी न्योछावर करने को तैयार रहती हूँ।
स्त्री रूप में जन्म देने के लिए ईश्वर की आभारी हूँ,
हाँ, मैं एक नारी हूँ।